बेमेल मित्रता...
बेमेल मित्रता...
गाँव सें मीलों दूर एक घना जंगल था.उस जंगल मे बरगद के पेड के खोखले तने मे एक बूढा चूहा रहता था. एक दिन चूहा नदी पऱ स्नान करने जा रहा था.
उस ने देखा एक बिल्ली ज़ख़्मी हालत मे पड़ी हुई है.
उस के जिस्म सें खून बह रहा है.
बूढा चूहा आगे बढ़ा और बिल्ली कों देख कर सोचने लगा. अगर जल्द ही इस का इलाज ना क्या गया तो ये मर जाएगी.और अगर ये ठीक हो गई तो मुझे मार देगी, चूहा बहुत ही रहम दिल था. जिस किसी कों भी मुसीबत मे देखता उस की मदद करने आगे बढ़ जाता.अपनी जान की परवा किए बिना चूहा बिल्ली कों अपने घर ले गया...
और उस की मरहम पट्टी करने लगा. धीरे धीरे बिल्ली ठीक हो गई, चूहा बिल्ली सें डरने लगा था.
कही बिल्ली उसे खा ना जाये.
एक दिन बिल्ली ने चूहें सें कहा,
बूढ़े चूहें मैं तुम्हारी एहसानमंद हु, तुमने मेरी जान बचाई है. और मुझे नई जिंदगी दी है.
तुम मुझसे डरो मत मैं तुम्हे नहीं खाउंगी.
बिल्ली की बात सुन कर चूहा ख़ुश हो गया, तभी बिल्ली वहा सें जाने लगी,
चूहा बोला,बिल्ली बहन तुम कहा जा रही हो.
बिल्ली बोली, चली जाउंगी कही ना कही दुनिया बहुत बड़ी है. चूहा बोला अभी तुम्हारे जख्म ताज़ा है.
तुम्हे अभी और आराम की ज़रूरत है.
चूहा बोला, बिल्ली बहन तुम चाहो तो हमेशा के लिये यहाँ रह सकती हो,हम दोनों दोस्त बन के रहेंगे.बिल्ली मुस्कुराई और बोली,दो जानी दुश्मन दोस्त बन कर रहेंगे दुनिया हसेगी.
चूहा बोला,हँसाना तो पुण्य का काम है. चलो फिर करते है पुण्य.
बिल्ली हमेशा के लिये चूहें के घर मे रहने लगी.
जंगल के सभी जानवर बिल्ली और चूहें की दोस्ती देख कर हैरान थे.और कुछ जानवर उनसें जलने लगे थे.जिस बरगद के पेड के खोखले तने मे बिल्ली और चूहा रहते थे.उसी पेड़ पऱ एक काला साँप रहता था.जो उनकी
दोस्ती सें बहुत जलता था. और दुसरे जानवरो के साथ मिल कर उन की मित्रता तोड़ने के मनसूबे बनता रहता था.लेकिन हर बार उसे मुँह की खानी पडती थी.
एक बार जंगल मे सूखा पड़ गया, जानवर जंगल छोड़ कर दूसरे जंगल जाने लगे.
चूहें कों तो कुछ ना कुछ खाने कों मिल जाता था.और उस का गुज़ारा हो जाता था. लेकिन बिल्ली कई दिनों सें भूखी थी.
बिल्ली खाने की तलाश मे निकलती और निराश हो कर घर वापस आ जाती.साँप काफी दिनों सें बिल्ली पऱ तांक लगाए बैठा था.एक दिन बिल्ली घर पऱ अकेलीं थी. साँप दरवाज़े पऱ बैठ गया. और बोला बिल्ली बहन लगता है.बहुत दिनों सें कुछ नहीं खाया, तुम्हारा शरीर बता रहा है. बिल्ली सुधबुध खोयी ज़मीन पऱ पड़ी थी.साँप फिर बोला वैसे बिल्ली बहन मैं तुम्हे एक मशवरा दू क्या, तुम उस मोटे गेंडे चूहें कों खा लो वैसे भी अब बूढा हो चुका है.ऐसा लगता है.जैसे प्राण निकलने वाले हो इस सें अच्छा है,उसे खा कर तुम अपने प्राण बचा लो.
बिल्ली ने डंडा उठाया और साँप के मार दिया.और बोली कमवख्त माना हम दोनों की ज़ाती दुश्मनी है. लेकिन एहसान और एहसास भी तो कोई चीज़ होती है. मैं मर जाउंगी मगर चूहें कों नहीं खाउंगी
साँप अपनी रोनी सूरत लेकर वहा सें चला गया.थोड़ी देर बाद चूहा आया, बिल्ली बेसुध ज़मीन पऱ पड़ी थी.भूख सें उस की जान जा रही थी.
चूहा बिल्ली सें बोला बहन तुम्हारी हालत पऱ मुझे तरस आता है.काश मैं तुम्हारी मदद कर पाता,बिल्ली भूखी थी.
और परेशान भी इसी लिये झुंझला कर बोली,
मेरी हालत पऱ तरस मत खाओ मैं बिलकुल ठीक हु.
बिल्ली ने इतनी ऊँची आवाज़ मे चूहें सें कभी बात नहीं की थी.
चूहा डर गया और घर सें बाहर निकल आया.
साँप पेड पऱ बैठा सारा दृश्य देख रहा था.साँप चूहें के पास गया और बोला.चूहें भैय्या नेकी का तो ज़माना ही नहीं है.
देखो तो ज़रा तुम ने अपनी जानी दुश्मन की जान बचायी और वह तुम सें इतनी ऊँची आवाज़ मे बात कर रही है.साँप बोला भैय्या अभी भी समय है.इस सें पहले ये भूखी बिल्ली तुम्हे खा जाये तुम इस कों मार दो.चूहा साँप की बातो मे आ गया.और बिल्ली सें डरने लगा, चूहा साँप सें बोला तुम मेरी मदद करोगे, साँप बोला क्यों नहीं.तुम कल उस भूखी बिल्ली कों कुए पऱ लेकर आ जाना मैं तुहे वही मिलूंगा.चूहा खाने का लालच देकर बिल्ली कों कुएँ पऱ ले गया.मासूम बिल्ली ने जैसे ही कुएँ पऱ पैर रखा चूहें ने उसे धक्का दे दिया.उसी वक़्त साँप ने भी चूहें की गर्दन पकड़ लीं और कहा अब आया मज़ा एक तीर सें दो शिकार.कम्बख्त बिल्ली भी गई और अब तू भी जायेगा.मैंने बहुत कहा था.उस बिल्ली सें चूहें कों खा ले अपने पेट की भूख मिटा ले मगर नहीं मानी, दोस्ती निभाती रही.अब क्या मिला उसे मौत...
चूहा साँप की गिरफ्त मे था.और मन ही मन पछता रहा था.ये मुझसे क्या हो गया.साँप ने चूहें कों भी मार दिया और बिल्ली भी मर गई..
बच्चो इस कहानी सें ये शिक्षा मिलती है.
हमे कभी भी बेमेल मित्रता नहीं करनी चाहिए.
और अगर किसी सें मित्रता करे तो उस पऱ पूरा विश्वास करना चाहिए...
फ़िज़ा तन्वी.
सीताराम साहू 'निर्मल'
17-Jan-2023 11:21 PM
बहुत खूब
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